भारत में अधिकांश युवा अपने 20 वी में यानी 23 या 24 साल की उम्र में काम करना शुरू कर देते हैं।
पहली कमाई का मजा और ख़ुशी का लेवल ही कुछ और है।
एक फ्रीडम का एहसास होने लगता है। पर फिर इसी एहसास के चलते युवा फ़िज़ूल का खर्चा करना चालू कर देते है, जैसे काम न होने पर भी कोई चिजे खरीदना, एक मूल्यह्रास संपत्ति (Depreciating asset) को लोन लेके या फिर EMI पे खरीदना और इत्यादि। (एक कार Depreciating asset का एक उदाहरण है, जिसकी किम्मत समय के साथ कम होती रहती है।) धीरे धीरे ये ही सब आदते एक युवा को financial डिस्ट्रेस की और ले जाता है, और अगर युवा समय रहते इसे ठीक नहीं करता है तो वो अपना भविष्य आर्थिक रूप से सुरक्षित नहीं कर पाता। तो चलिए इस लेख के ज़रिये हम लोग, एक युवा अपनी 20 वी में कौनसी financial mistakes करता है, और वो इन्हे कैसे सुधार सकता है ये समझ ने की कोशिश करते है।
5 Financial mistakes to avoid
- Not investing and Not starting Early. (निवेश न करना और निवेश को टालना)
- Excessive debt (अत्यधिक कर्ज कर्लेना)
- Not diversifying the asset class (संपत्ति के वर्ग में विविधता न लाना)
- Not having Health insurance and Term insurance. (हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस का न होना।)
- Not having emergency fund (इमरजेंसी फंड का न होना)
1. Not investing and Not starting Early. (निवेश न करना और निवेश को टालना)
जब इंवेस्टिंग का विषय आता है तो इसका मतलब है की हमें कही न कही खर्चे पर काबू करके अपने आमदनी से कुछ पैसे अलग निकालने पड़ते है, और इसी मोड पे Financial Freedom की जर्नी एक तो बिगड़ती है या फिर बनती है। जिस भी व्यक्ति ने अपने आमदनी से कुछ पैसे निकाल के सही जगह इन्वेस्ट करने की आदत बना ली, वह व्यक्ति अपना भविस्य आर्थिक रूप से मजबूत बना लेगा, और जिस व्यक्ति ने “Investing can wait” वाला नज़रिया रखा उसकी आर्थिक स्थिति डगमगाई रह सकती है।
कुछ लोग इंवेस्टिंग का महत्व तो समझते है लेकिन इन्वेस्ट करना टालते रहते है। देरी से इंवेस्टिंग शुरू करने का परिणाम हम निचे दिए गए उदहारण से समझेंगे।
Variables | Person A | Person B |
---|---|---|
Age | 30 | 24 |
Monthly Investment (Rs.) | 10,000 | 10,000 |
Invested years | 30 | 36 |
Expected rate of return | 8% | 8% |
Accumulated corpus | 36,00,000 | 43,20,000 |
Earned interest (Rs.) | 1,14,02,952 | 2,08,13,683 |
Total Corpus with Interest (Rs.) | 1,50,02,952 | 2,51,33,683 |
ऊपर दिए गए टेबल में हम ये देख सकते हैं कि Person A जो कि, 30 साल की उम्र के है, अपने 60 साल की उम्र तक याने अगले 30 साल के लिए हर महीने 10,000/- निवेश करते है, तो उन्हें 8% के ब्याज दर पर लग भग 1.50 करोड़ मिलते है।
और Person B जो कि, 24 साल की उम्र के है, अपने 60 साल की उम्र तक याने अगले 36 साल के लिए हर महीने 10,000/- निवेश करते है, तो उन्हें 8% के ब्याज दर पर लग भग 2.51 करोड़ मिलते है। Person A ने Person B के तुलना में केवल 6 साल देरी से इंवेस्टिंग शुरू की तो उन्हें लग भग 1 करोड़ रुपये कम प्राप्त हुए।
इसी उदहारण से हमें समझ आता है की देरी से इंवेस्टिंग शुरू करने पर long term में कितना भारी नुकसान है। यदि हम अगर इन्वेस्ट ही न करे तो सोचो कितनी बड़ी भूल कर देंगे।
Way Ahead:-
(a) निवेश जल्द से जल्द चालू करे।
(b) निवेश में अनुशासन (Discipline) बनाए रखने के लिए SIP शुरू करें।
(c) अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार निवेश करें, जैसे कि Debt fund में निवेश करना Equity fund में निवेश करने की तुलना में कम जोखिम भरा होता है।
(d) खर्च करने से पहले बचाएं (Save before spend), ताकि निवेश जारी रख सके।
2.Excessive debt (अत्यधिक कर्ज कर्लेना)
इसका मतलब है “आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया”।
अक्सर युवाए अपने खर्चे को मापते नहीं है। वे अपनी इच्छा और जरूरत में फर्क नहीं समझते और उसीके चलते अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए फिजूल का खर्चा कर बैठते हैं।
कई बार ऐसा खर्चा लोन और EMI के माध्यम से पूरा किया जाता है जो की एक बड़ी वित्तीय गलती (financial mistake) है।
बढ़ता कर्ज और उसके साथ बढ़ता ब्याज एक इंसान के लिए वित्तिय परेशानी खडी कर देता है।
Way Ahead:-
(a) सभी आवश्यक खर्चों को नोट करे।
(b) ये करने से आपको पता चलेगा कि आपका जरूरी खर्चा कितना है, आपके वेतन के हिसाब से कितना पैसा महीने के आखिरी में आपके पास बचेगा।
(c) इस बचे हुए पैसो को आप अपने इच्छा अनुसार खर्च कर सकते हैं।
(d) इस तरह आप फ़िज़ूल का खर्चा करना और कर्ज लेना टाल सकते हैं।
3.Not diversifying the asset class (संपत्ति के वर्ग में विविधता न लाना)
अंग्रेजी में एक कहावत है कि “Don’t put all your eggs in one basket” जो कि Investing के मामले में बिल्कुल सही है। कोई भी एक ही एसेट क्लास में इन्वेस्ट करना ये एक बड़ी Financial mistake मानी जाती है।
भारत में लोग गोल्ड में या फिर रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करने में ज्यादा विश्वास रखते है।
लेकिन सुरक्षित और स्मार्ट निवेश के लिए व्यक्ति को निवेश में विविधता लानी चाहिए और सोना (केवल BOND/ETF), म्यूचुअल फंड, इक्विटी, रियल स्टेट, सरकारी योजनाओं (जैसे पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना) में निवेश करना चाहिए। इस वजह से कोई भी एक एसेट में आने वाली गिरावट से हम अपने पैसो को बचा सकते है।
4.Not having Health insurance and Term insurance. (हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस का न होना।)
भारत में बड़ी आबादी की देखभाल के लिए सरकारी चिकित्सा सुविधाएं अपर्याप्त हैं। और बड़े प्राइवेट अस्पतालों में चिकित्सा बहुत महंगी हैं।इसीके चलते बहुतांश लोगो को अपनी जेब से ही मेडिकल और हॉस्पिटल के खर्चे उठाने पड़ते है। और बोहत से समय तो उनकी सारी जमा पूंजी बड़े अस्पतालों में इलाज के खर्चों में निपट जाती है। WHO (World Health Organization) की रिपोर्ट (https://apo.who.int/publications/i/item/india-health-system-review) के अनुसार, अपनी जेब से स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च करने से सालाना 55 million से अधिक भारतीय गरीब हो जाते हैं। ऐसी दुविधा का इलाज हेल्थ इन्शुरन्स को खरदने में है।
Health insurance के फायदे:-
(a)छोटेसे सालाना प्रीमियम पे बड़ा कवरेज मिलता है।
(b)आजकल इन्शुरन्स कम्पनिया cashless treatment की फैसिलिटी प्रदान करती है, जिसके वजह से हमें अस्पताल में भर्ती होने और इलाज के दौरान एडवांस में पैसे देने की जरुरत नहीं होती। (*APOLLO जैसे कुछ अस्पताल, अस्पताल में भर्ती होने के समय रिफंडेबल डिपॉजिट लेते हैं।)
(c)Cashless treatment लगभग मुफ्त में इलाज करने जैसा ही होता है। भर्ती के समय अपना Policy कार्ड दिखाओ, TPA से अप्रूवल लो और इलाज कराओ। इलाज का जो भी बिल बनेगा उसका इन्शुरन्स कंपनी अस्पताल को भुगतान कर देगी।
(d)बीमा कंपनियाँ भीषण आपघात, मधुमेह, अंग प्रत्यारोपण, कैंसर आदि जैसी विनाशकारी बीमारियों को भी कवर करती हैं। जिसके कारण एक इन्शुरन्स होल्डर एक बड़े खर्चे से बच जाता है।
इसी फायदों को ध्यान में रखते हुए हर एक व्यक्ति ने अपना और अपनी परिवार का हेल्थ इन्शुरन्स कर लेना चाहिए। ताकि जो पैसा वो मेहनत से बचा रहा है और इन्वेस्ट कर रहा है वो किसी बीमारी में व्यर्थ न हो।
5.Not having emergency fund (इमरजेंसी फंड का न होना)
हम सभी को 2019 का कोविड संक्रमण अछेसे याद है। इस समय बोहोत से लोगो ने अपनी नौकरिया खोयी थी और बहुत सारे छोटे बड़े धंदे बंद पड़ गए थे। ऐसे बुरे वक़्त में जो लोगोके पास जमा पूंजी होती है वही काम आती है। इस पर से हमें एक इमरजेंसी फंड होने का महत्व समझ आता है।
इमर्जेंसी फंड बनाने का नियम:-
(a)अपने एक महीने के खर्चों का हिसाब लगाइये।
(b)अपने एक महीने के खर्चों को 6 से गुणा करें।
(c)परिणामी अंक जितना रूपया इमरजेंसी फंड की तौर पर रखिये।
उदाहरण:-
(a)मान लीजिए आपका मासिक खर्च 30,000 रुपये है।
(b)30000 को 6 से गुणा करें (30,000*6)=1,80,000/-
(c)इस 1,80,000 रुपये को इमरजेंसी फंड की तौर पर रखिये।
इमरजेंसी फंड तैयार करने से आपकी नौकरी जाने पर या धंदा ठप होने पर कम से कम 6 महीने तक आपको पैसो की दिक्कत नहीं आएगी।
आप अपनी सुविधा के अनुसार अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड 1 वर्ष तक टिके उतना बढ़ा भी सकते है।
इमरजेंसी फंड होने के फायदे:-
(a)इमरजेंसी फंड से हम हमारे इन्वेस्टमेंट की जर्नी को SIP के द्वारा जारी रख सकते है।
(b)आर्थिक संकट में हम हमारे जीवन शैली को बरकरार रख सकते है।
(c)आर्थिक संकट में हमें अछेसे सोच के सही फैसला लेने का समय मिल जाता है.
Conclusion (निष्कर्ष)
अगर हम ऊपर बताई गई 5 वित्तीय गलतियों (Financial mistakes) से बच जाएं तो हम करोड़पति बनने की यात्रा बिना किसी रुकावट के सुनिश्चित कर कर पाएंगे।